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51 peeth darshan

@devidarshan51

Published: March 13, 2025
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त्रिजटा अघोरी की रहस्यमय कथा 🧵 त्रिजटा का नाम सुनते ही सबसे पहले रामायण की एक प्रसिद्ध राक्षसी का ध्यान आता है, जो लंका में माता सीता की देखभाल करती थी और अत्यंत भक्तिमती थी। लेकिन यहाँ हम जिस त्रिजटा अघोरी के बारे में बता रहे हैं, उसका उल्लेख बहुत कम स्थानों पर मिलता है।

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यह कथा मुख्य रूप से अघोर पंथ से जुड़ी है और लोककथाओं व तांत्रिक परंपराओं में ही प्रचलित रही है। त्रिजटा अघोरी कौन थीं? त्रिजटा अघोरी एक शक्तिशाली तांत्रिक और अघोरी थीं, जिनका संबंध श्मशान-साधना और अघोर मार्ग से था। उन्हें महाकाल, काली, और भैरव की अनन्य उपासिका माना जाता है। कुछ किंवदंतियों के अनुसार, वे ऐसी विद्या की ज्ञाता थीं जो मृत्यु के रहस्यों को उजागर कर सकती थी।

त्रिजटा अघोरी की रहस्यमय कथा 1. श्मशान की साधिका कहते हैं कि त्रिजटा बचपन से ही सांसारिक बंधनों से मुक्त थीं। वे एक उच्च कुल में जन्मी थीं लेकिन संसार की मोह-माया को त्यागकर श्मशान साधना में लग गईं। वे हमेशा काशी के मणिकर्णिका घाट, तारा पीठ, और अन्य सिद्ध स्थानों पर तपस्या करती थीं। एक बार एक राजा ने उनका अपमान किया और उनकी साधना को ठुकरा दिया। क्रोधित होकर त्रिजटा अघोरी ने अपने तपोबल से पूरे राज्य को भयंकर रोग से पीड़ित कर दिया। जब राजा ने उनसे क्षमा माँगी, तो उन्होंने एक विशेष अनुष्ठान कर पूरे राज्य को रोग से मुक्त किया। इस घटना के बाद वे और अधिक रहस्यमयी बन गईं।

2. शव-साधना और अमरत्व की खोज त्रिजटा अघोरी शव-साधना की सिद्धि प्राप्त करने के लिए जानी जाती थीं। एक किंवदंती के अनुसार, उन्होंने एक विशेष सिद्धि प्राप्त की थी जिससे वे मृत शरीरों से संवाद कर सकती थीं। वे कई दिनों तक श्मशान में ध्यानमग्न रहतीं और कहा जाता है कि उन्होंने कई मृत आत्माओं को मुक्ति प्रदान की। कुछ मान्यताओं में कहा जाता है कि उन्होंने अमरत्व की खोज में एक प्रयोग किया था, जिसमें वे मृत्यु को हरा सकती थीं। हालांकि, इस प्रयोग का रहस्य कभी उजागर नहीं हुआ।

3. भैरव के दर्शन और अंतिम गुप्त रहस्य कहते हैं कि त्रिजटा अघोरी को स्वयं काल भैरव के दर्शन हुए थे, और वे उनसे सीधा संवाद कर सकती थीं। एक रात, जब वे एक विशेष अनुष्ठान कर रही थीं, तो वे अचानक लुप्त हो गईं। कुछ लोगों का मानना है कि वे भैरव के लोक में समा गईं, जबकि कुछ मानते हैं कि उन्होंने आत्म-समाधि ले ली। उनके जाने के बाद, उनके अनुयायियों ने कई वर्षों तक उनकी शक्ति का अनुभव किया। कहा जाता है कि जो भी उनके स्थान पर सच्चे मन से साधना करता था, उसे रहस्यमयी शक्तियाँ प्राप्त होती थीं।

क्या यह कथा सच्ची है? त्रिजटा अघोरी की कथा का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, लेकिन तांत्रिक ग्रंथों और अघोर परंपरा में उनके बारे में रहस्यमयी संकेत मिलते हैं। कई साधु और तांत्रिक आज भी उनका नाम सम्मान से लेते हैं और उनकी साधना को अत्यंत प्रभावशाली मानते हैं। तो प्रिय पाठकों, कैसी लगी आपको पोस्ट। अवश्य बताए । साथ ही अपना ख्याल रखें, खुश रहें और प्रभु को याद करते रहें।फॉलो करे 🙏🏻 धन्यवाद! हर हर महादेव!

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