
तहक्षी™ Tehxi
@yajnshri
पढ़ कर आपको कैसा लगेगा यदि कहा जाए “देवी देवताओं की संख्या ना 33 कोटि ना 33 करोड़ है ” 24 विष्णुरूप, 12 सरस्वती सरूप, 8 लक्ष्मी, 12 गौरी, 36 तुषित, 7 मारुतगण , 9 ग्रह, 10 दिशा दिग्पाल , स्थानीय देवता, नक्षत्र के अधिपति, पितृ लोक 🧵 जी हा! ये केवल एक गणित को घुमा घुमा कर बता दिया गया है, इसको इसी #thread में सिद्ध कर दिया जाएगा चलिए, गणना करें।
त्रिदेव : ब्रह्मा, विष्णु, महेश • त्रिदेवी : सरस्वती, लक्ष्मी, काली इनमे से भी भगवान विष्णु के असीमित रूपों में से कुछ रूप हैं, 33 प्रमुख देवता : (जिसे प्रमुख कहा जाए) 12 आदित्य + 8 वसु + 11 रुद्र + 1 इंद्र + 1 प्रजापति (कुछ शास्त्रों में इंद्र और प्रजापति के स्थान पर 2 अश्विनी कुमार स्थित होते हैं।)
• 12 आदित्य : 1. अंशुमान, 2. आर्यमन, 3. इंद्र, 4. त्वष्टा, 5. धातु, 6. परजंन्य, 7. पूषा, 8. भगा, 9. मित्रा, 10. वरुण, 11. विवस्वान और 12. विष्णु। • 8 वसु : 1. आप, 2. ध्रुव, 3. सोम, 4. धार, 5. अनिल, 6. अनल, 7. प्रत्यूष और 8. प्रभास। • 11 रुद्र : 1. शंभू, 2. पिनाकी, 3. गिरीश, 4. स्थानु, 5. भरगा, 6. भाव, 7. सदाशिव, 8. शिव, 9. हर, 10. शर्वाः और 11. कपाली। ये 11 रुद्र, यक्षों और दस्युजन के भी देवता हैं तथा कल्प बदलने पर रुद्र और उनके नाम भी बदल जाते हैं।
उदहारण ये अन्य कल्प के अन्य शास्त्रों में उल्लिखित अन्य रुद्रों के नाम हैं। 1. मनु, 2. मन्यु, 3. शिव, 4. महत, 5. ऋतुध्वज, 6. महिनस, 7. उमतेरस, 8. काल, 9. वामदेव, 10. भव तथा 11. धृत-ध्वज। 2 अश्विनी कुमार 1. नस्तास्या तथा 2. दस्ता। जो की आयुर्वेद के आदि आचार्य हैं तथा सूर्य देव के पुत्र हैं।
24 विष्णुरूप वासुदेव, केशव, नारायण, माधव, पुरुषोत्तम, अधोक्षजा, संकर्षण, गोविंदा, विष्णु, मधुसूदन, अच्युत, उपेंद्र, प्रद्युम्न, त्रिविक्रम, नरसिंह, जनार्दन, वामन, श्रीधर, अनिरुद्ध, हृषिकेश, पद्मनाभ, दामोदर, हरि और कृष्ण। हालांकि ये रूप आध्यात्मिक दुनिया तथा हमारे ब्रह्मांड से बाहर स्थित हैं, इसलिए हम इनकी गणना देवताओं में नहीं करेंगे। • 12 सरस्वती महाविद्या, महावाणी,भारती, सरस्वती, ब्राह्मी, महाधेनु, वेदगर्भ, ईश्वरी, महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती।
8 लक्ष्मी आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, संताना लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी और विद्या लक्ष्मी। • 12 गौरी उमा, पार्वती, ललिता, श्रोत्तमा, कृष्णा, हेमवंती, रंभा, सावित्री, श्रीखंड, तोता और त्रिपुरा। • साथ ही 200+ क्षेत्रीय देवीयां जिनकी आज भी पूरे भारत में ग्रामीण तथा अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा की जाती है।
आदित्य-विश्व-वसवस् तुषिताभास्वरानिलाः महाराजिक-साध्याश् च रुद्राश् च गणदेवताः ॥10॥ - नामलिङ्गानुशासनम् 33 प्रमुख देवता + 36 तुशिता + 10 विश्वदेव + 12 साध्यदेव + 64 आभास्वर + 49 मारुत + 220 महाराजिक = 424 देवता और देवगणः • गण : सेना, सेवक, घनिष्ट सहयोगी या विशेष देवता की सेवा करने वाला देवताओं का व्यक्तिगत सेवक समुदाय। जैसे कि भगवान शिव के गणों को शिवगण कहा जाता है। इन्द्र के गण को इन्द्रगण कहते हैं। इसी प्रकार अधिक रूप से प्रमुख देवताओं में ऐसे गण समुदाय हैं और वे असंख्य हैं। तथा, जैसे सभी देवों के देव देवाधिदेव महादेव हैं, वैसे ही सभी गणों के नेता गणाधिपति, गणपति गणेश हैं। उनकी पूजा करना अर्थात सभी गणों की पूजा करना। इनके उपरांत, वेदों में भी 10 आंगिरसदेव एवं 9 प्रकार के देवगण का भी उल्लेख है।
36 तुषित 36 तुषित देवताओं का वो समूह है जो विभिन्न मन्वंतर में जन्म लेते हैं। उनका एक भिन्न स्वर्ग है तथा उनके नाम पर एक भिन्न ब्रह्मांड भी है। • 10 विश्वदेव 1. वासु 2. सत्य 3. क्रतु 4. दक्ष, 5. कला 6. काम 7. धृति 8. कुरु 9. पुरुरवा 10. मद्राव, तथा बाद में 2 और जोड़े गए 11. रोचक या लोचन, 12. ध्वनि धुरी इनमे से पाँच विश्वदेव एक बार ऋषि विश्वामित्र के श्राप के कारण द्रौपदी के पाँच पुत्र पाँच उपपांडव के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। रात में अश्वत्थामा द्वारा मारे जाने के बाद वे अपने मूल स्वरूप में पुनः आ गए थे।
12 साध्यदेव 1. अनुमन्ता 2. प्राण 3. नर 4. वीर्य 5. यान 6. चिट्टी 7. हय 8. नय 9. हंसा 10. नारायणः 11. प्रभव और 12. विभुः • 64 अभास्वर तमोलोक में ये 3 देवनिकाय हैं। 1. भावेश्वरः 2. महाभास्वर और 3. सत्यमहाभास्वर । अभास्वर देवता का काम भूतों, इन्द्रियों और बुद्धि को नियंत्रण में रखना हैं।
49 मारुतगण मारुत देवताओं के सैनिक हैं। वेदों में इन्हें रुद्र और वृष्णि के पुत्र बताया गया है, जबकि पुराणों में इन्हें कश्यप और दिति के पुत्र बताया गया है। कल्पभेद। • 7 मारुत : और उनके 7-7 मरुदगण तथा उनके आंदोलन क्षेत्र 1. आवाह, ब्रह्मलोक 2. प्रवाह, इंद्रलोक 3. संवाद, अंतरिक्ष 4. उदवा, पृथ्वी के पूर्व 5. विवाह, भुलोक के पश्चिम में 6. परिवाह, भुलोक के उत्तर में 7. परवाह, पृथ्वी के दक्षिण में इस प्रकार कुल 49 प्रमुख मरुत हैं। कुल संख्या को कभी-कभी 180 कही जाती है। वे अंतरिक्ष में और फूलों में रहते हैं। वे अपने देवता के लिए देवों के रूप में विचरण करते हैं
• 9 ग्रह देवता 1. सूर्यदेव 2. सोमदेव (चंद्र देव) 3. मंगल / कुज 4. बुध 5. गुरु / बृहस्पति 6. शुक्र 7. शनिदेव 8. राहु 9. केतु मुख्य श्रेणियों के अतिरिक्त अन्य देवता गणाधीपति गणेश, कार्तिकेय, धर्मराज, चित्रगुप्त, आर्यमा, हनुमान, भैरव, वन, अग्निदेव, कामदेव, चंद्र, यम, शनि, सोम, रिभुः, द्युः सूर्य, बृहस्पति, वाक, काल, अन्ना, वनस्पति, पर्वत, धेनु, सनकादि गरुड़, अनंत शेष, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, पिंगला, जय, विजय एवं बहुत सारे...
मुख्य श्रेणियों के अतिरिक्त अन्य देवियाँ भैरवी, यामी, पृथ्वी, पूषा, आप, सविता, उषा, औषधि, अरण्य, ऋतु, त्वष्टा, सावित्री, गायत्री, श्री, भूदेवी, श्रद्धा, शची, दिति, अदिति एवं बहुत सारी... स्थानीय देवता : 1. द्यु-स्थानीयः : आकाश और स्वर्ग : सूर्य (प्रमुख), वरुण, मित्र, पूषन, विष्णु, उषा, अपानपत, सविता, त्रिपा, विवस्ववत, आदित्यगण, अश्विनीकुमार आदि। 2. मध्य-स्थानीय : अंतरिक्ष : पर्जन्य, वायु (प्रमुख), इंद्र, मारुत, रुद्र, मातरिश्वन, त्रिप्रपत्य, अज एकपाद, आप, अहितबुधन्य आदि। 3 . पृथ्वी-स्थानीय : पृथ्वी पर : पृथ्वी, उषा, अग्नि (प्रमुख), सोम, बृहस्पति, नदियाँ आदि। 4. पाताल-लोकीय : शेष नाग और वासुकी आदि। 5. पितृ लोकीय : समस्त मानवता के नौ दिव्य पित्रो को अग्रिसवत्ता, बरहीशद अजयप, सोमेप, रश्मिपा, उपदूत, अयंतुन, श्राद्धभुक और नंदीमुख के रूप में जाना जाता है। समस्त पित्रुओं के देवता आर्यमा हैं।
6. नक्षत्र के अधिपति - चैत्र मास में धात, - वैशाख में आर्यमा, - ज्येष्ठ में मित्र, - आषाढ़ में वरुण, - श्रावण में इंद्र, - भाद्रपद में विवस्वान, - अश्विन में पूष, - कार्तिक में पर्जन्या, - मार्गशीर्ष में अंशु, - पौष में भाग, - माघ में त्वष्टा और - फाल्गुन में विष्णु है। सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हुए इनको याद करना चाहिए।
दस दिशाओं के 10 दिग्पाल - ऊपर के ब्रह्मा, - उत्तर के शिव और ईश, - पूर्व के इंद्र, - अज्ञेय की अग्नि या वाहरी, - दक्षिण के यम, - नैरुत्य की नारुति, - पश्चिम के वरुण, - वायव्य के वायु और मारुत, - उत्तर के कुबेर और - नीचे के अनंत शेष।
मत्स्य पुराण में कई सौ देवियों की सूची भी है। केवल अप्सराओं की संख्या भी 60 करोड़ को पार करती है, जो की समुद्र मंथन से निकलकर गंधर्व-लोक को चली गई थी। हमने अभी यक्ष, किन्नर, गंधर्व, किमपुरूस आदि असंख्य अर्ध-देवताओं की गणना नहि की है, जो की सभी स्वर्गीय ग्रहों के निवासी हैं और देवताओं की तुलना में कम शक्तिशाली हैं परंतु पृथ्वी वासियों की तुलना में अधिक।
🚩 हिन्दू देवियों के नाम और परिचय ⚘️1.माता सरस्वती (विद्या की देवी ब्रह्मा की पत्नी)। ⚘️2.माता सरस्वती (ब्रह्मा-सावित्री की पुत्री)। ⚘️3.सावित्री (ब्रह्मा की पत्नी)। ⚘️4.गायत्री (ब्रह्मा की पत्नी)। ⚘️5.श्रद्धा (ब्रह्मा की पत्नी)। ⚘️6.मेधा (ब्रह्मा की पत्नी)। ⚘️7. शतरूपा (स्वायंभुव मनु की पत्नी)। ⚘️8.अदिति (कश्यप की पत्नी और देवताओं की माता)। ⚘️9.श्रद्धा (अंगिरा की पत्नी और बृहस्पति मां)। ⚘️10.उषा (द्यौ की पुत्री)। ⚘️11.माता लक्ष्मी (भगवान विष्णु की पत्नी)। ⚘️12. देवी तुलसी (वृंदा देवी विष्णु का अंश)। ⚘️13.विंध्यवासिनी देवी योगमाया (यशोदा की पुत्री एकानंशा, श्रीकृष्ण की बहन)। ⚘️14.यमुना देवी (यमराज की बहन कालिंदी)। ⚘️15. शचि (इंद्र की पत्नी इंद्राणील ज्वालादेवी की उपासक)। ⚘️16. देवी आर्याणि- (पितरों के अधिपति अर्यमा की बहन, अदिति की पुत्री, सूर्यपुत्र रेवंतस की पत्नी हैं)। ⚘️17.अम्बिका : (त्रिदेव जननी जगदम्बे, दुर्गा, कैटभा, महामाया और चामुंडा)। ⚘️18.सती : (दक्ष प्रजापति की पुत्री, भगवान शंकर की पत्नी)। ⚘️19.पार्वती : (राज हिमवान और रानी मैनावती की पुत्री, भगवान शंकर की पत्नी, पु?त्र कार्तिकेय, गणेश और पुत्री अशोक सुंदरी की माता)। ⚘️20.उमा : (भूमि की देवी उमा भी भगवान शंकर की पत्नी)। ⚘️21..गंगा देवी : (पार्वती की बहन, हिमवान की पुत्री)। ⚘️22.भद्रकाली : (मां महाकाली के अनेक रुप हैं, इन्हें श्यामा, दक्षिणा कालिका (दक्षिण काली) गुह्म काली, कालरात्री, भद्रकाली, महाकाली, श्मसान कली आदि)। ⚘️23.वनदुर्गा- षठप्रहरिणी असुरमर्दिनी माता दुर्गा का एक रूप है वनदुर्गा, वनों की पीड़ा सुनकर उनमें आश्रय लेने वाले दानवोंका वध करने और वनों की रक्षा करने वनदुर्गा के रूप में अवतरित हुई एक शक्ति है। ⚘️24.वारुणी (वरुण देवी की पत्नी देवी वरुण या वरुणानी) वाराणसी में वरुणी पंचकोसी यात्रा होती है। ⚘️२5.नर्मदा देवी (शिव या राजा मैखल की पुत्री, सोनभद्र की पत्नी)। नवदुर्गा ⚘️1.शैलपुत्री (पार्वती देवी) ⚘️2.ब्रह्मचारिणी (पार्वती देवी) ⚘️3. चन्द्रघंटा : (पार्वती देवी) ⚘️4.कूष्मांडा : (पार्वती देवी) ⚘️5.स्कंदमाता : (पार्वती देवी) ⚘️6. कात्यायनी (ऋषि कात्यायन की पुत्री, महिषासुरमर्दिनी, तुलजा भवानी) ⚘️7.कालरात्रि : (पार्वती देवी) ⚘️8.महागौरी : (पार्वती देवी) ⚘️9.सिद्धिदात्री : (पार्वती देवी) पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री भी कहा जाता है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार अन्य रूप ⚘️ब्राह्मणी, महेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नरसिंही, ऐन्द्री, शिवदूती, भीमादेवी, भ्रामरी, शाकम्भरी, आदिशक्ति और रक्तदन्तिका। दस महाविद्याएं ⚘️1.काली : (भगवान शंकर की पत्नीं, असुर रक्तबीज का वध करने वाली अम्बा माता की बेटी, पार्वती की सखी)। ⚘️2.तारा : (प्रजापति दक्ष पुत्री, सती की बहन)। ⚘️3.छिन्नमस्ता : (देवी पार्वती का एक रूप है, सहचरणीं जया व विजया)। ⚘️4.त्रिपुरसुंदरी : (ललिता, राज राजेश्वरी, त्रिपुरा-भैरवी, त्रिपुरा और त्रिपुर सुंदरी जगदम्बा ही त्रिपुरा हैं)। ⚘️5.भुवनेश्वरी : (महालक्ष्मी स्वरूपा, शाकम्भरी और दुर्गा नाम से भी प्रसिद्ध, काली और भुवनेशी प्रकारांतर से अभेद है काली का लाल वर्ण स्वरूप ही भुवनेश्वरी हैं)। ⚘️6.त्रिपुरभैरवी : (नारद-पाञ्चरात्र के अनुसार यह माता काली का ही स्वरूप है), महिषासुर नामक दैत्य के वध से सम्बंधित हैं। 👑🚩 सभी योगिनिया- ⚘️1.त्रिपुर भैरवी ⚘️2.कौलेश भैरवी, ⚘️3.रूद्र भैरवी, ⚘️4.चैतन्य भैरवी, ⚘️5.नित्य भैरवी, ⚘️6.भद्र भैरवी, ⚘️7.श्मशान भैरवी, ⚘️8.सकल सिद्धि भैरवी ⚘️9.संपत प्रदा भैरवी ⚘️10. कामेश्वरी भैरवी इत्यादि. देवी त्रिपुर भैरवी का घनिष्ठ संबंध 'काल भैरव' से है. ⚘️11. धूमावती : (सातवीं महाविद्या धूमावती को पार्वती का ही स्वरूप माना गया). ⚘️ 12.बगलामुखी : मां बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है जो श्रीविद्या से उत्पन्न हुई है, इन्हें वैष्णवी भी कहा जाता है। ⚘️13. देवी मातंगी : (मतंग मुनि की पुत्री, मातागिरी नाम से प्रसिद्ध)। ⚘️14. देवी कमला : (देवी कमला, भगवान विष्णु से संबंधित, समुद्र मंथन से उत्पन्न). दीपावली के दिन शैव लोग काली की और वैष्णव लोग कमला की पूजा करते हैं. कमला को ही महालक्ष्मी कहा गया है।
🚩 *चौंसठ योगिनियों के नाम में सभी प्रमुख देवियां* 1.बहुरूप, 3.तारा, 3.नर्मदा, 4.यमुना, 5.शांति, 6.वारुणी 7.क्षेमंकरी, 8.ऐन्द्री, 9.वाराही, 10.रणवीरा, 11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली, 17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार, 21.कराकाली, 22.सरस्वती, 23.बिरूपा, 24.कौवेरी, 25.भलुका, 26.नारसिंही, 27.बिरजा, 28.विकतांना, 29.महालक्ष्मी, 30.कौमारी, 31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38.वीर कुमारी, 39.माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर और 64. भद्रकाली।