
तहक्षी™ Tehxi
@yajnshri
सफलता के लिए सात दिन जरूर लगाएं ये अलग-अलग तिलक🧵 यह कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति को भी प्रभावित करता है। यह ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करवा सकता है
तिलक लगाना बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भगवान के प्रति अपने सम्मान और प्रेम को दर्शाने का एक विशेष तरीका होता है। ज्योतिषशास्त्र की मानें तो सप्ताह के सातों दिनों में सात अलग-अलग तिलक का उपयोग करना चाहिए। इससे आपको बहुत शुभ परिणाम मिल सकते हैं। ये सात तिलक उस दिन से संबंधित एक अलग देवता या ऊर्जा से जुड़े होते हैं।
सात तिलक के लाभ माथे पर तिलक लगाने का बहुत महत्व होता है। यह शरीर के सात चक्रों को संतुलित करने के साथ-साथ उन्हें सक्रीय करने का कार्य करता है। तिलक लगाने के विभिन्न लाभ होते हैं। जो लोग तिलक लगाते हैं उनका मन शांत और केंद्रित रहता है
🌱 सोमवार का तिलक सोमवार के दिन लोगों को अपने माथे पर सफेद चंदन का तिलक लगाना चाहिए। यह दिन भगवान शिव से जुड़ा होता है, जिन्हें परिवर्तन और विनाश की शक्ति के रूप में देखा जाता है। इस दिन का ग्रह स्वामी चंद्रमा माना जाता है। यह तिलक आपको शांति, स्थिरता और स्पष्ट सोच दे सकता है। यह भावनाओं को नियंत्रण में रखने, रिश्तों को सुखी बनाने और आपको अच्छा आभास कराने में लाभ देता है।
🌱 मंगलवार का तिलक मंगलवार का दिन महाबली हनुमान को समर्पित होता है। इसके साथ ही यह दिन मंगल ग्रह से जुड़ा हुआ होता है, जो शक्ति और बहादुरी का प्रतिनिधित्व करता है। मंगलवार को अपने माथे पर लाल चंदन का लेप या सिंदूर लगाना चाहिए। यह तिलक आपको अधिक साहसी, मजबूत और दृढ़ निश्चयी बनाता है। यह आपको चुनौतियों से निपटने, अधिक आत्मविश्वास आभास करने और निडर होने में लाभ देता है
🌱 बुधवार का तिलक बुधवार का दिन भगवान गणेश और मां दुर्गा से जुड़ा हुआ होता है। इस दिन के स्वामी ग्रह बुध हैं जो संचार और बुद्धि का प्रतीक है। बुधवार को अपने माथे पर सूखे सिन्दूर का तिलक लगाने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह तिलक आपको बात करने में बेहतर, होशियार और निर्णय लेने में अधिक क्षमता बनाता है। यह रिश्तों में सामंजस्य लाएगा, आपके दिमाग को तेज करेगा और आपको अपने प्रयासों में सफलता दिलाएगा।
🌱 गुरुवार का तिलक गुरुवार के दिन अपने माथे पर पीले रंग का तिलक या हल्दी का तिलक लगाना चाहिए। यह दिन बृहस्पति ग्रह से जुड़ा हुआ है, जो ज्ञान और समृद्धि लेकर आता है। यह तिलक ज्ञान और धन को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे आपका मन पवित्र रहता है। आपको आध्यात्मिक रूप से विकास करने में, और सकारात्मक आभास करने में सुकृति मिलती है।
🌱 शुक्रवार का तिलक शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। यह दिन शुक्र ग्रह से जुड़ा हुआ है, जो प्रेम और सुंदरता का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन अपने माथे पर लाल चंदन का लेप या रोली-कुमकुम लगाना चाहिए। यह तिलक आपके जीवन में प्यार, सुंदरता और रचनात्मकता को बढ़ाता है। यह रिश्तों में सामंजस्य और वैवाहिक जीवन में खुशियां लेकर आता है। इसके साथ ही आपकी कलात्मक क्षमताओं को भी अच्छा बनाएगा।
🌱 शनिवार का तिलक शनिवार को अपने माथे पर भस्म या राख लगाना अच्छा माना जाता है। यह दिन शनि ग्रह से जुड़ा होता है, जो सुरक्षा और अनुशासन का ग्रह है। यह तिलक आपको सुरक्षित रखने, आपको केंद्रित रहने और आध्यात्मिक रूप से विकसित होने में मदद करता है। यह आपको चुनौतियों से निपटने, नकारत्मक ऊर्जा को दूर रखने और आत्म-नियंत्रण विकसित करने में सहायक साबित हो सकता है।
🌱 रविवार का तिलक जब लोग रविवार को अपने माथे पर लाल चंदन का तिलक या केसर लगाते हैं, यह दिन भगवान विष्णु और सूर्य से जुड़ा होता है, जो जीवन शक्ति और नेतृत्व का ग्रह है। यह तिलक आपको अधिक ऊर्जावान बनाने, आपके नेतृत्व कौशल में सुधार करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे आप अधिक आत्मविश्वास महसूस करेंगे और समाज में आपके मान-सम्मान में भी वृद्धि होगी।
सात तिलक की विधि बिना नहाए तिलक लगाना अच्छा नहीं माना जाता है, इसलिए तिलक लगाने से पहले स्नान जरूर कर लें। अपने या किसी अन्य व्यक्ति के तिलक लगाने के लिए सदैव अनामिका ऊंगली का प्रयोग करें। पुरुष हमेशा लंबा तिलक लगाएं और महिलाएं गोल तिलक ही अपने माथे पर धारण करें। तिलक लगाने के तीन घंटे तक सोने का प्रयास न करें। यह शुभ नहीं माना जाता।
मृत्तिका चन्दनं चैव भस्म तोयं चतुर्थकम् । एभिर्द्रव्यैर्यथाकालमूर्ध्वपुण्ड्रं समाचरेत् ॥ (ब्रह्माण्डपुराण) ऋतुके अनुसार भी तिलकधारणकी बात विभिन्न आचार्योंने कही है। शीत ऋतुमें केसर, कस्तूरी, गोरोचन आदि उष्ण द्रव्योंसे तिलक लगाना चाहिये, जिससे भालप्रदेशीय पित्त सक्रिय बना रहे तथा ग्रीष्म ऋतुमें कर्पूरयुक्त श्रीखण्डचन्दनका तिलक धारण करना चाहिये, जिससे सिरदर्द, रक्तचाप, नेत्रदाह आदिसे बचा जा सके। भारतमें मुख्यतः तीन सम्प्रदाय हैं- वैष्णव, शैव और शाक्त। वैष्णव (रामानन्दी, रामानुजी, मध्व, निम्बार्क, वल्लभ आदि) ऊर्ध्वपुण्ड्र, शैव त्रिपुण्ड्र तथा शाक्त बिन्दु या बेंदी धारण करते हैं। इसके अतिरिक्त सूर्य और गणपतिके उपासक पृथक् पृथक् प्रकारसे लगाते हैं।