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shakti storm

@shaktistorm3

Published: April 8, 2025
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महाभारत में भीष्म के बारे में कुछ आश्चर्यकारी तथ्य क्या हैं? 🧵

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भीष्म पितामह महाभारत के प्रमुख पात्र हैं। वह गंगा और शांतनु के पुत्र थे। उनका असली नाम “देवव्रत” था। पिता के सुख के लिए भीष्म ने आजीवन अविवाहित रहने और ब्रहमर्य का पालन करने की भीषण प्रतिज्ञा की थी। इसी कारण उनका नाम “भीष्म” पड़ा था। वे महाभारत के युद्ध में कौरवों की तरफ से लड़े थे। उनको इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। सूर्य के उत्तरायण होने पर भीष्म ने अपने प्राण त्यागे थे। ऐसा कहा जाता है कि उनकी मौत अर्जुन के द्वारा बाणों की वर्षा के 58 दिन बाद हुई थी। वे चाहते तो बड़ी आसानी से हस्तिनापुर के राजा बन सकते थे, पर उन्होंने सारा जीवन हस्तिनापुर की राजगद्दी का संरक्षण किया।

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जब पांडवो को भीष्म पितामह को हराने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था तब पांडव खुद ही जाकर भीष्म से पूछने लगे कि उनको युद्ध में पराजित करें। भीष्म ने उत्तर दिया कि शिखंडी को युद्ध के समय उनके सामने कर देना। स्त्री होने के कारण मैं उस पर आक्रमण नहीं करूंगा। उस समय अर्जुन मुझ पर बाणों से प्रहार करें। इस तरह पांडव युद्ध में मुझे पराजित कर पायेगे। पितामह भीष्म के बारे में कुछ रोचक तथ्य:- 1राजा शांतनु और गंगा के विवाह के बाद गंगा ने अपनी 7 संतानों को नदी में प्रवाहित कर दिया। गंगा ने राजा शांतनु से यह वचन लिया था कि वह कभी भी उनसे कोई प्रश्न नहीं करेंगे, परंतु जब आठवी संतान को गंगा नदी में प्रवाहित करने लगी तो राजा शांतनु क्रोधित होकर इसका कारण पूछने लगे। गंगा ने पूरा कारण बताया और आठवीं संतान को लेकर कहीं अज्ञात में चली गई। वह आठवीं संतान ही भीष्म पितामह थे।

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1राजा शांतनु निषाद कन्या “सत्यवती” से दूसरा विवाह करना चाहते थे, परंतु सत्यवती ने यह वचन लिया था कि उसकी संतान ही आगे चलकर राजा बनेगी। इस बात से राजा शांतनु बहुत दुखी हो गए क्योंकि वे भीष्म को राजा बनाना चाहते थे। जब यह बात भीष्म को पता चली तो उन्होंने अपने पिता को वचन दिया कि वे सारा जीवन विवाहित रहेंगे और कभी शादी नहीं करेंगे। सत्यवती से उत्पन्न पुत्र ही राजगद्दी पर बैठेगा। 2विचित्रवीर्य के विवाह के लिए भीष्म पितामह ने काशीराज के 3 कन्याओं का बलपूर्वक अपहरण किया था। उनके युद्ध कौशल को देखकर सभी चकित रह गए थे। 3काशी नरेश की बड़ी पुत्री “अंबा” शाल्व से प्रेम करती थी, परंतु भीष्म ने उसका अपहरण कर लिया था। बाद में भीष्म ने अंबा को छोड़ दिया और वह शाल्व के पास वापस चली गई। परंतु शाल्व ने उसे स्वीकार नही किया। इस बात से अंबा बहुत दुखी हुई और उसने क्रोध में आकर भीष्म को श्राप दिया की उनकी मृत्यु का कारण एक “स्त्री” ही बनेगी। महाभारत के युद्ध में शिखंडी भीष्म के सामने आ गई जिस कारण उन्होंने युद्ध नहीं किया। इस मौके का फायदा उठाकर अर्जुन ने भीष्म पितामह पर बाणों की वर्षा कर दी। इस तरह भीष्म पितामह की मृत्यु का कारण एक स्त्री बनी थी।

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1भीष्म ने भगवान परशुराम से 21 दिनों तक भयंकर युद्ध किया था। ऋषि मुनियों के समझाने पर भगवान परशुराम ने स्वयं ही लोक कल्याण के लिए युद्ध रोक दिया था। 2सत्यवती ने भीष्म से बार-बार कहा कि विवाह करके संतान पैदा कर लो परन्तु उन्होंने अविवाहित रहने की अपनी प्रतिज्ञा नहीं तोड़ी। 3भीष्म श्री कृष्ण के भक्त थे। युद्ध में जब श्री कृष्ण रथ का पहिया लेकर दौड़े तो भीष्म ने अपने सभी शस्त्र रख दिए थे। वे श्री कृष्ण के हाथों मृत्यु पाना चाहते थे। 4महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण ने शस्त्र ग्रहण ना करने की प्रतिज्ञा की थी परंतु भीष्म ने कहा कि वह श्रीकृष्ण को किसी भी तरह शस्त्र ग्रहण करने के लिए मजबूर कर देंगे। युद्ध के दौरान भीष्म ने अर्जुन पर भयंकर बाणों की वर्षा की जिस कारण श्री कृष्ण को अपनी प्रतिज्ञा तोड़नी पड़ी। उनको अर्जुन के जीवन की रक्षा करनी थी। विवश होकर श्री कृष्ण ने रथ का पहिया उठाकर अर्जुन की रक्षा की थी। 5मृत्यु के समय जब भीष्म को प्यास लगी तो उन्होंने अर्जुन की तरफ देखा। अर्जुन ने धनुष से पृथ्वी पर तीर मारकर जल की धारा निकाली जिसने भीष्म की प्यास बुझाई। उसके बाद उन्होंने प्राण त्यागे। 6भीष्म पितामह जब बाण सैया पर घायल पड़े थे तो कौरवों की तरफ से बहुत से चिकित्सक वहां आ गए। वे सभी भीष्म का इलाज करना चाहते थे, परंतु उन्हेंने कहा कि इन सभी चिकित्सकों की कोई आवश्यकता नहीं है। इन्हें पुरस्कार देकर विदा करो। मेरे स्वर्गवासी होने का समय आ गया है। भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर श्री कृष्ण की छवि को आंखों में बसाकर अपने प्राण त्यागे थे।

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